कैचवर्ड:बिहारयोगविद्यालयकामनायागयास्थापनादिवस
-सिर्फआसानऔरप्रणायमकरलेनेसेकोईयोगीनहींबनसकताहै
-मुंगेरकाबिहारयोगविद्यालयपरमहंससत्यानंदसरस्वतीकेसमर्पणकाप्रतीक
जागरणसंवाददाता,मुंगेर:बिहारयोगकेविद्यालयकेस्थापनादिवसपरआयोजितचारदिवसीयकार्यक्रमकेदौरानरविवारकोगंगादर्शनमेंसन्यासीऔरशहरकेआमलोगोंकोसंबोधितकरतेहुएयोगविद्यालयकेपरमाचार्यपरमहंसस्वामीनिरंजनानंदसरस्वतीनेकहाकियोगकाआधारजीवनमेंशुद्धताऔरपवित्रताहै।इसदिशामेंलगातारकार्यकिएजारहेहैं।बिहारयोगविद्यालयकीओरसेयोगकेदूसरेचरणकालक्ष्यभीयहीनिर्धारितकियागयाहै।स्वामीजीनेकहाकिउत्सवमेंआनंदकीअनुभूतिहोरहीहै।11वर्षपूर्वमैंसंस्थाकेकार्योंसेमुक्तहोचुकाहूं।गुरुकाआदेशथाकिकार्यसेमुक्तहोजाना,लेकिनयोगकोछोड़नानहीं।योगकेलिएकामकरतेरहनाहै।दरअसलमेंयोगएकसंस्कृतिहै,संस्कृतिकातात्पर्यहैसम्यक्ताऔरजीवनकीरचनात्मकाकीअभिव्यक्तिसेहै।योगतथासंन्याससंस्कृतिकेअंगहैं,सुखशांतिऔरसहयोगकीस्थापनादोनोकेलक्ष्यहैं।उन्होंनेकहाकिमुंगेरकाबिहारयोगविद्यालयपरमहंससत्यानंदसरस्वतीकेसमर्पणकाप्रतीकहै।जबवर्ष1956मेंउनकेगुरुस्वामीशिवानंदनेआदेशदियाकियोगकाप्रचारकरो,तोउन्होंनेतमाममहत्वाकांक्षाकोपीछेछोड़दिया।नौवर्षोंतकभारतकाभ्रमणकरआमलोगोंकीआवश्यकताओंकोसमझा,तबजाकरमुंगेरकेलालदरवाजामेंगोइनकाजीकेआवासपरशिवानंदआश्रमकीस्थापनाकीगई।वर्ष1963सेलेकरवर्ष1983तकगुरुदेवनेयोगकोपूरेसमर्पणभावसेघर-घरपहुंचाया।कार्यसंपन्नहोनेपरवेसंन्यासमार्गकेलिएनिकलगए।उनकापूराजीवनत्यागमयऔरसमर्पणसेयुक्तरहा।योगकेसंबंधमेंविभिन्नप्रकारकीभ्रांतियोंकीचर्चाकरतेहुएस्वामीनिरंजनानंदसरस्वतीनेकहाकि10आसनऔरकुछएकप्राणायमकरनेसेकोईयोगीनहींहोजाताहै।योगकाआधारजीवनमेंशुद्धताऔरपवित्रताहै।योगअध्यात्मिकचेतनाकीप्राप्तिमाध्यमहै।समारोहकोसंबोधितकरतेहुएकैलाशघामआश्रमनासिककेप्रमुखऔरआह्वानीअखाड़ाकेमहामंडलेश्वरस्वामीसंविदानंदसरस्वतीनेकहाकिवर्ष1850सेलेकरवर्ष1960तककीअवधिकाफीमहत्वपूर्णरहीहै।इसदौरानस्वामीविवेकानंद,महर्षिअर¨वद,स्वामीशिवानंद,स्वामीसत्यानंदजैसेतपस्वीहुए।इसीअवधिमेंस्वामीनिरंजनानंदकाभीजन्महुआ।उन्होंनेकहाकिसंतईश्वरकीपंसदहै,क्योंकिवेहमेशादूसरोंकेलिएकामकरतेहैं।मौकेपरस्वामीशिवध्यानमनेकहाकिब्रह्मलीनपरमहंसस्वामीसत्यानंदसरस्वतीकेसमर्पणकाप्रतीकहैमुंगेरकायोगआश्रम।जिन्होंनेयोगकोनगर-नगरडगर-डगरतकपहुंचाया।योगकोवैज्ञानिकमान्यताभीदिलाई।स्वामीनिरंजनानंदनेउनकेमिशनकोऔरआगेबढ़ाया।वर्ष2013मेंघोषणाकीगईथीकियोगकाद्वितीयअध्यायआरंभहोगयाहै।पिछलेवर्षस्वामीजीकेसानिध्यमेंमौनक्रांतिकीतरहफलितहुआऔरइसकासूत्रपातहोचुकाहै।योगजीवनशैलीमेंपरिवर्तितहो,यहीद्वितीयअध्यायकालक्ष्यहै।चारदिनोंकेस्थपनादिवससमारोहकेदौरानदक्षिणभारतकेललितामहिलासमाजमकीयोगिनियोंद्वाराश्रीयंत्रकीआराधनाकीगई।वसंतपंचमीकेदिनगुरुपूजा,हवन,श्रोतपाठऔरभजनकीर्तनकापाठकियागया।समापनसत्रकेशुभारंभमेंबालयोगमित्रमंडलकेबच्चोंनेसुमधुरस्वरमेंकीर्तनप्रस्तुतकरलोगोंकोमंत्रमुग्धकरदिया।