प्रोजेक्टकलरिसर्चविंगकीप्रमुखअनुश्नाझाहोंयातमाममुद्दोंपरमुखररहनेवालेसामाजिककार्यकर्ता,विश्लेषकयोगेन्द्रयादवहोंअथवालैंगिकसमानताकेमुद्देपरकामकरनेवालीसंस्थासरोकारकीकुमुदसिंह,सबकीएकहीचिंताऔरशिकायतहैकि नईशिक्षानीति(NewEducationPolicy)शिक्षाकेविस्तारकीबाततोकरतीहै,लेकिनअधिकारकेसवालपरमौनहोजातीहै. इसलिएलगताहैकिचाहेआपलैंगिकअंतरकोखत्मकरनेकेलिएसमावेशनकोष(GenderInclusionFund)बनालोयाविशेषशैक्षिकक्षेत्रोंकेगठनकेप्रावधानोंकीबातकरलो,तबतककुछनहींबदलसकता,जबतक3से18सालकेबच्चोंकोकानूननशिक्षाकाअधिकार(RTE)नहींमिलजाता,जबतकघरसेस्कूलतककीदूरीनहींघटती,स्कूलतकपहुंचनेकेरास्तेसुरक्षितनहींबनाएजाते,स्कूलोंमेंलड़के,लड़कियोंऔरतीसरेलिंगयानेट्रांसजेंडरबच्चोंकेलिएअलगशौचालयनहींबनायेजाते,जबतकवंचितसमुदायकेबच्चोंऔरविशेषकरबेटियोंकोशिक्षासेजोड़नेकेलिएछात्रवृतिकीराशिनहींबढ़ाईजाती,निजीस्कूलोंमेंफीसनहींघटती.

नईशिक्षानीतिकेदस्तावेजमेंबेहतरीनशब्दोंकेसाथभविष्यमेंशिक्षाकीखूबसूरततस्वीरतोदिखाईगईहै,लेकिनतयलक्ष्योंकोजमींपरउतारनेकेलिएसरकारकोपूरेमनकेसाथकामकरनाहोगा,वरनायहनीतिभी‘मनकीबात‘होकररहजाएगी.सरकारकेबारेमेंयहधारणाबनेगी,किउसकीनीतियांठीकवैसीहीहैं,जैसे“हाथीकेदांतखानेकेऔरदिखानेकेऔर.”

विश्लेषकोंकामाननाहैकिजोशिक्षानीतिसमानस्कूलप्रणाली,आरटीईकानून,उसमेंसंशोधन,निजीस्कूलोंमेंदाखिलेमें25फीसदीसीट्सकेआरक्षणदेने,शिक्षाकेव्यवसायीकरणरोकनेजैसेअहम्सवालोंपरमौनहो,वहनीतिहमारेस्कूलीसिस्टममेंरचे-बसेसामाजिक,लैंगिकस्तरपरभेदभावकोकैसेदूरकरपाएगी,बड़ीसंख्यामेंस्कूलनजानेयाबीचमेंस्कूलछोड़देनेवालीलाखोंबेटियोंकोकैसेस्कूलोंकीचौखटतकवापसलापाएगी,यहएकगंभीरऔरस्वाभाविकसवालहै.खासतौरपरतब,जबकोरोनामहामारीकेकारणकेवललड़कोंहीनहीं,बल्किबड़ेपैमानेपरलड़कियोंकेभीस्कूलछूटजानेकाखतराबतायाजारहाहै,बालश्रम,बालतस्करी,बालविवाहतेजीसेबढ़नेकीआशंकाएंजताईजारहीहैं,ऐसेमेंउन्हेंशिक्षासेजोड़नेकीबड़ीचुनौतीहै.

यादकरेंकि22जनवरी2015को,जबप्रधानमंत्रीनरेन्द्रमोदीनेहरियाणाकेपानीपतसेदेशमें‘बेटीबचाओ-बेटीपढ़ाओअभियान’कीशुरूआतकीथी.इसीसालमोदीसरकारनेटीएसआरसुब्रहमण्यनकीअध्यक्षतामेंकमेटीगठितकरनईशिक्षानीतिबनानेकीकवायदशुरूकीथी.2016मेंइसकमेटीकीरिपोर्टपेशहुई,फिरकहांचलीगई,पतानहीं.जून2017मेंकस्तूरीरंगनकीअध्यक्षतामेंइसकामकेलिएएकऔरकमेटीबनी,जिसकीरिपोर्टतय6महीनेकीबजाय23महीनेकेबाद31मई2019कोसरकारकोसौंपीगई.फिरजनताकेसुझावऔरआपत्तियांमंगाने,अंतिमरूपदेनेमेंएकसाल2महीनेकासमयऔरलगगयाहै.इनवर्षोंमें‘बेटीबचाओ-बेटीपढ़ाओ’केनारेकेसाथएकऔरनारागूंजाकिपढ़ेगी‘बेटी-बढ़ेगीबेटी’,लेकिनअबजब5सालकीलंबीकवायदकेबादनईशिक्षानीतिसामनेआईहै,तोबेटियोंकाजिक्रतोहै,लेकिनबेटीकैसेपढ़ेगी,कैसेबढ़ेगी,कैसेस्कूलछोड़चुकीलड़कियांवापसआएंगी,इसकारोडमैपनहींबतायागयाहै.

29जुलाईकोसरकारनेनईशिक्षानीति-2020(NewEducationPolicy)कीघोषणाकी.उसकेभीएकहिस्सेयानीअगरहमस्कूलीशिक्षाकीनीतिऔरउसमेंभीलैंगिकसमानता(GenderEquality)कोध्यानमेंरखकरउल्लेखितलक्ष्योंपरनजरडालेंतोबहुतउम्मीदनहींदिखती,क्योंकिदस्तावेजसिर्फयहबताताहैकिभविष्यकीस्कूलीशिक्षाकाढांचाकैसाहोगा.इसकेआधारपरकानूनकबबनेगा,कबलागूहोगा,कबइसकेहिसाबसेबजटआएगा,आवंटितहोगा,इसलिएअभीसेकिसीनिष्कर्षपरपहुंचनाजल्दबाजीहोगी.

सामाजिककार्यकर्ताएवंविश्लेषकयोगेन्द्रयादवकहतेहैंकिनईशिक्षानीतिमेंकईबेहतरबातेंहैं.“दस्तावेज2009मेंलागूशिक्षाकाअधिकारकानूनकेअनुसार6से14सालतककेबच्चोंकोमुफ्तशिक्षाकेदायरेकोबढ़ाकर3से18सालआयुतककरनेकीबातकरताहै.स्कूलोंमेंबच्चोंकेड्रापआउटरेटकोकमकरने,मिडडेमीलकेसाथसुबहकानाश्तादेने,चाइल्डहुडकेयरएंडएजुकेशनदेने,वंचितसमुदायकेबच्चोंसमेतसभीलड़केलड़कियोंकोसमानअवसरदेने,लड़कियोंकोभावनात्मकरूपसेसुरक्षितबातावरणदेनेकीबातदस्तावेजमेंकहींगईहै.येसारीबातेंअच्छीहैं,लेकिनक्यायेसंसदमेंआरटीईकानूनमेंसंशोधनकरनीतिकोउसकाहिस्साबनाएबिनायेसंभवहै?दस्तावेजमेंआरटीईकानून(RTEAct)लानेकाकोईजिक्रहीनहींहैं.”वोकहतेहैं“गरीबीरेखासेनीचेजीवनयापनकरनेवालेऔरआर्थिकरूपसेकमजोरवर्गकेबच्चोंकेलिएनिजीविद्यालयोंमें25फीसदीसीट्सआरक्षितरखनेकेबारेमेंदस्तावेजचुपहै.डरइसबातकाहैकिले-देकरइसआरक्षणकीव्यवस्थाकोहीहटानेकीकवायदकीजाएगी,सबकोइसबारेमेंचौकन्नारहनेकीजरूरतहै.” शिक्षाकेव्यावसायीकरणकोरोकनेकीकोईठोसव्यवस्थाकीबातइसमेंनहींहै.श्रीयादवकहतेहैंकिनईशिक्षानीतिमेंत्रिभाषीयफ़ॉर्मूलेकीबातकीगईहै,जिसमेंकक्षापाँचतकमातृभाषा/स्थानीयभाषामेंपढ़ाईकरानेकोकहागयाहै.यहकोईनयाफार्मूलानहींहै,येतोपिछले50सालोंसेचलरहाहै.संस्कृतयाराज्यकीभाषा,बोलीमेंपढ़ानेकीबाततोठीकहै,लेकिनप्रधानमंत्रीसेलेकरकिसीसरकारमेंइतनीहिम्मतनहींहैकिइंग्लिशमीडियमस्कूलचलानेवालोंकीठेकेदारीखत्मकरसके,याउनपरअन्यभाषाओंमेंभीपढ़ानेकादबावडालसकें.कानूनलानेऔरठोसकदमउठाएबिनाशिक्षामेंअसमानताकीखाईऔरगहरीहोनेकाहीखतराहै.ऐसेमेंलड़के-लड़कियांपढ़ाईमेंपिछड़ेंगे,उनसेस्कूलछूटेंगे.

क्योंछूटजातेहैंलड़कियोंसेस्कूल

-यूनीसेफकीताजारिपोर्टकेमुताबिकलैंगिकभेदभावकेकारणदुनियामेंहरतीनमेंसेएककिशोरीगरीबीकेकारणस्कूलनहींजापाती.भारतमेंयहस्थितितोचिंताजनकस्तरतकहै.

-वर्ल्डबैंककीरिपोर्टभारतमेंलड़कियोंकेस्कूलछोड़नेकेपीछेसरकारीस्कूलोंकीख़राबहालतऔरनिजीस्कूलोंमेंभारीफीसकोबड़ीवजहबतातीहै.

-एनएसएसओकासर्वेकहताहैकिकमउम्रमेंशादी,दूरस्कूलहोनाऔरघरकेकामकाजमेंलगनास्कूलछोड़नेकीबड़ीवजहेंहैं.

-सैम्पलरजिस्ट्रेशनसिस्टमबेसलाइनसर्वेकीरिपोर्टकेअनुसार15से17सालकीलगभग16प्रतिशतलड़कियांस्कूलबीचमेंहीछोड़देतीहैं.गुजरातमें15से17सालकी26.6प्रतिशतलड़कियांकिसीनकिसीकारणसेस्कूलछोड़देतीहैं.झारखंडमें84.1प्रतिशत,मध्यप्रदेशमें79.2प्रतिशत,यूपीमें79.4प्रतिशतऔरउड़ीसामें75.3प्रतिशतलड़कियांहाईस्कूलकेपहलेहीस्कूलछोड़देतीहैं.

-मानवसंसाधनविकासमंत्रालय,जोअबशिक्षामंत्रालयकहलाएगा,उसकीएकरिपोर्टकहतीहैकिहरसाल5वींतकआते-आतेकरीब23लाखबच्चेस्कूलछोड़देतेहैं,जिनमेंसर्वाधिकसंख्यालड़कियोंकीहोतीहै.हरसाल16.88%लड़कियांआठवींकेबादस्कूलछोड़देतीहैं,क्योंकिएकतिहाईस्कूलोंमेंशौचालयनहींहै.कईलड़कियांकमउम्रमेंशादीकरनेकेलिएमजबूरकीजातीहैं.

-आरटीईफोरमकेसंयोजकअंबरीशरायबतातेहैंकिकहीं-कहींस्कूलबहुतदूरहोताहै.बदलतेसमयमेंघरवालोंनेजोख़िमलेनाकमकरदियाहै.सुरक्षाकोलेकरआश्वस्तनहोनेकेकारणमां-बापअपनीबच्चियोंकोज्यादादूरीवालेस्कूलमेंनहींभेजनाचाहते.आठवींकेबादअक्सरऐसाहोताहैकिबच्चियोंकोस्कूलछोड़नापड़ताहै.”

देशमेंस्कूलोंकीहालत

-इससमयदेशमेंकरीब13.62लाखप्राथमिकस्कूल(PrimarySchool)हैं,जिनमेंकुल41लाखशिक्षकमात्रहैं.करीब1.5लाखस्कूलोंमें12लाखसेज्यादाशिक्षकोंकेपदखालीपड़ेहैं.देशमेंअभीभीकरीब1,800विद्यालयपेड़केनीचेयाटेंटोंमेंलगरहेहैं.24हजारविद्यालयोंमेंपक्केभवननहींहैं.देशकेएकलाखपांचहजारस्कूलएक-एकटीचरकेभरोसेचलरहेहैं.इनमेंमध्यप्रदेशमें17हजार874,यूपीमें17हजार606,राजस्थानमें13हजार575औरआंध्रप्रदेश,झारखंड,बिहारआदिशामिलहैं.

-शिक्षाकेलिएएकीकृतजिलासूचनाप्रणाली(UDISE)कीरिपोर्टकेमुताबिकदेशकेसिर्फ़52%स्कूलोंमेंएकसाथहाथधोने,पीनेकापानीऔरइस्तेमालकियेजानेलायकटॉयलेटकीव्यवस्थाहै.स्कूलोंमेंवर्तमानमेंड्रॉप-आउटरेटलगभग40%काहै,जिनमेंसेज़्यादातरलड़कियाँहोतीहैं.

नीतिपरक्योंउठेसवाल

राष्ट्रीयशिक्षानीतिकेदस्तावेजोंपरनजरडालेंतोआरटीईकोलेकरअस्पष्टतादिखतीहै.यहदस्तावेजकहताहैकिआरटीईकाविस्तारहोनाचाहिए,2009मेंजोशिक्षाकाअधिकारदियागयाथा,उसमें6से14सालकीआयुतकमुफ्तशिक्षाकीबातकहीगईथी,अबउसकादायराबढ़ाकर3से18सालकीआयुतकमुफ्तशिक्षादेनेकीबातकहीगईहै.यहबहुतहीबेहतरकदमकहाजासकताहै.नईनीतिसबसेमहत्वपूर्णबातकहतीहैकिजो2करोड़बच्चे,अभीशिक्षानहींलेपारहेहैं,उन्हेंशिक्षासेजोड़ाजाएगाऔरस्कूलतकलायाजाएगा.सवालयहहैकिइतनेबच्चेबढ़ेंगे,तोउनकेलिएस्कूलमेंजरूरीस्थान,इंफ्रास्ट्रक्चर,टीचर्स,सामान,बजटकीभीजरूरतपड़ेगी.यहसवालइसलिएउठरहाहैकि2020-21मेंशिक्षाकेलिए99हजार300करोड़रुपएबजटतयकियागयाथा,उसमेंभीस्कूलीशिक्षाकेलिए59हजार900करोड़काबजटहै.एकआकलनकेअनुसारमौजूदबजटकेअनुसारअभीएकछात्रकीशिक्षापरप्रतिदिन2रुपए35पैसेयानीएकमाहमेंलगभग70रुपए50पैसेखर्चहोताहै.यहसबसेबड़ासवालहैकिक्याइसबजटकेआसरेकोईभीशिक्षानीतिलागूकीजासकतीहै.अबएकइसहकीकतकोभीदेखहीलीजिएकिपिछले2वर्षोंमेंस्कूलीशिक्षापरऔसतनकरीब37हजारकरोड़रुपएहीसरकारखर्चकरपाईहै.

नईशिक्षानीतिकहतीहैकिदेशकीआर्थिकविकासदर(जीडीपी)काशिक्षापर6फीसदीखर्चहोनाचाहिए.बहुतअच्छीबातहै,लेकिनयादकरेंकि1964-66मेंकोठारीकमेटीनेभीअपनीरिपोर्टमेंयहीजिक्रकियाथा,54सालबादभीवहीबातदोहराईजारहीहै,जबकिहकीकतयहहैकिसरकारदेशकीजीडीपीकाएकफीसदीभीखर्चशिक्षापरनहींकरपारहीहै.6सालपहलेयूपीएसरकारकेकार्यकालमेंशिक्षापरजीडीपीकादशमलवसात(.7)फीसदीखर्चहोताथाऔरअबमोदीसरकारकेकार्यकालमेंऔसतनदशमलवपांच(.5)फीसदीखर्चहोताहै.

अंबरीशरायकामतहैकियहनीतिसमानस्कूलप्रणाली(CommonSchoolSystem)परबिल्कुलमौनहै.मौजूदास्कूलीव्यवस्थाकेभीतररचे-बसेभेदभावकोदूरकरनेकाएकमात्रतरीकायहीहैकिदेशमेंएककॉमनस्कूलसिस्टम(CSS)कीशुरूआतहो,जोदेशकेसभीबच्चोंकेलिएसमानगुणवत्ताकीशिक्षासुनिश्चितकरेगा.34सालकेलंबेअरसेकेबादआएइसअहम्शिक्षादस्तावेज़सेइसशब्दावलीतककागायबहोजानावाकईआश्चर्यजनकहै.

2019मेंजबशिक्षानीतिकाड्राफ्टसुझावोंकेलिएजनताकेसामनेआयाथा,तबप्रोजेक्टकलरिसर्चविंगकीअनुश्नाझानेअपनेएकआलेखमेंउम्मीदजताईथीकिइसमेंजेंडरइक्विटीऔरजेंडरइक्वैलिटी(GenderEquality)कीबातकोहोशोहवाशकेसाथसमावेशकियाजाएगा,लेकिनइसकेविपरीतदस्तावेजमेंइससत्यकोअनदेखाकियागयाकिलड़केभीलैंगिकपहचान,पुरूषत्वऔरदूसरेलिंगोंसेश्रेष्ठहोनेकीभावनाकेसाथबड़ेकियेजातेहैं.शिक्षानीतिकीशब्दावलीमेंलैगिंकसमानतासुनिश्चितकरनेकाभावबहुतसतहीहै.

सामाजिककार्यकर्ताकुमुदसिंहकहतीहैंकिमैंनेस्कूलोंमेंलैंगिकसमानताकेमुद्देपरकामकरतेहुएपायाहैकिअधिकांशलड़कियांमाहवारीकेदौरानस्कूलनहींआतीं,इसनाजुकदौरमेंउन्हेंनतोकोईसहीजानकारीदेनेवालाहोताहै,नउनकेलिएसैनेटरीपैड्सकीव्यवस्थाहोतीहै,नसाफशौचालयकी,जहांवहअपनेआपकोसंभालसकें.इसकेअलावाउन्हेंस्कूलोंमेंलैंगिकभेदभावकासामनाकरनापड़ताहै.खेलकेपीरियडकेदौरानउन्हेंइंडोरगेम्सकेलिएकहाजाताहै,जबकिलड़कोंकोमैदानमेंखेलनेकोतरजीहदीजातीहै.लड़कियोंकेकपड़ों,उनकेखेलने-कूदने,घरसेबाहरनिकलने,उनकीस्वतंत्रताकोलेकरराजनेताओंकेऊलजलूल,गंदेबयानभीलड़कियोंकेमनमेंनिराशाकाभावपैदाकरतेहैं,जिनपररोकलगनाचाहिए.वोकहतीहैंकिनीतिमेंजोलक्ष्यतयकियेगएहैं,उन्हेंपूराकरनेकेलिएयुद्धस्तरपरकामकरतेहुएशिक्षाकीऐसीसंरचनाविकसितकरनीहोगी,जोलड़के-लड़कियों-ट्रांसजेंडर्सकेलिएमुफीदहो.जबस्कूलोंमेंपानी,बिजली,शौचालय,टीचर्सजैसीबुनियादीव्यवस्थाएंबेहतरहोंगी.उनकेआने-जानेकीसड़केंसुरक्षितहोंगी,खेलने-कूदनेकीआजादीमिलेगी,तभीतोबेटियांपढ़ेंगी,आगेबढ़ेंगी.जबतकआरटीईकानून2009कोसंशोधितकरतेहुएउसमेंनईनीतिकोशामिलनहींकियाजाता,तबतककुछनहींबदलनेवाला.बंदहोचुकेलाखोंसरकारीस्कूलोंकोपूरीसुविधाओंकेसाथफिरसेशुरूकियाजाए.आपशिक्षाकीबाततोकरतेहैं,लेकिनउसकाअधिकारदेनेसेडरतेहैं,येकैसेचलेगा,कैसेकुछबदलेगा?(येलेखककेनिजीविचारहैं)

ब्रेकिंगन्यूज़हिंदीमेंसबसेपहलेपढ़ेंNews18हिंदी|आजकीताजाखबर,लाइवन्यूजअपडेट,पढ़ेंसबसेविश्वसनीयहिंदीन्यूज़वेबसाइटNews18हिंदी|

By Dale